रविवार, 30 अप्रैल 2017

"परिवार के आर्थिक हालात पर डायबिटीज होने से नकारात्मक प्रभाव "



 डॉ सत्यजीत साहू का कहना है की छत्तीसगढ़ के सभी हिस्सों यह प्रभाव देखा जा सकता है . भारत में हर व्यक्ति किसी किसी ऐसे व्यक्ति को जानता होगा जिसे डायबिटीज की बीमारी होगी क्योंकि यहां 6.20 करोड़ लोग इस मर्ज से पीडित हैं. अनुमान है कि 2030 तक पीडि़तों की संख्या 10 करोड़ तक पहुंच जाएगी. अस्वस्थ खानपान, शारीरिक व्यायाम की कमी और तनाव डायबिटीज का मुख्य कारण बनते हैं.

इस बीमारी से भविष्य में मरीजों के साथसाथ उन के परिवारों और देश पर पड़ने वाले आर्थिक मानसिक बोझ को देखते हुए इस से बचाव और समय पर इस का प्रबंधन बेहद जरूरी है. एक अध्ययन के मुताबिक, डायबिटीज और इस से जुड़ी बीमारियों के इलाज मैनेजमैंट का खर्च भारत में 73 अरब रुपए है.

पेनक्रियाज जब आवश्यक इंसुलिन नहीं बनाती या शरीर जब बने हुए इनसुलिन का उचित प्रयोग नहीं कर पाता तो डायबिटीज होती है जो कि एक लंबी बीमारी है. इंसुलिन वह हार्मोन है जो ब्लडशुगर को नियंत्रित करता है. अनियंत्रित डायबिटीज की वजह से आमतौर पर ब्लडशुगर की समस्या हो जाती है. इस के चलते आगे चल कर शरीर के नाड़ी तंत्र और रक्त धमनियों सहित कई अहम अंगों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है.

रोग, रोगी और बचाव

डायबिटीज बचपन से ले कर बुढ़ापे तक किसी भी उम्र में हो सकती है. गोरों के मुकाबले भारतीयों में यह बीमारी 10-15 साल जल्दी हो जाती है. चूंकि इस का अभी तक कोई पक्का इलाज नहीं है और नियमित इलाज पूरी उम्र चलता है, इसलिए बाद में दवा पर निर्भर होने से बेहतर है अभी से बचाव
कर लिया जाए. जीवनशैली में मामूली बदलाव कर के डायबिटीज होने के खतरे को कम किया जा सकता है, कुछ मामलों में तो शुरुआती दौर में इसे ठीक भी किया गया है.

परिवार पर मार

दूसरी बीमारियों के मुकाबले डायबिटीज एक पारिवारिक रोग सरीखा है. इस के प्रभाव एक व्यक्ति पर नहीं पड़ते. घर के किसी सदस्य के डायबिटीज से पीडि़त होने पर पूरे परिवार को अपने खानपान जीवन के अन्य तरीके बदलने पड़ते हैं. रोग का परिवार के बजट पर भी गहरा असर पड़ता है.

पर्सन सैंटर्ड केयर इन सैकंड डायबिटीज एटीट्यूड, विशेज ऐंड नीड्स: इंसपीरेशन फ्रौम इंडिया नामक एक मल्टीनैशनल स्टडी में पता चला कि डायबिटीज की वजह से शारीरिक, आर्थिक भावनात्मक बोझ पूरे परिवार को उठाना पड़ता है. इस के तहत दुनियाभर के 34 प्रतिशत परिवार कहते हैं कि किसी परिवारजन को डायबिटीज होने से परिवार के आर्थिक हालात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जबकि भारत में ऐसे परिवारों की संख्या 93 से 97 प्रतिशत तक है.

दुनियाभर में 20 प्रतिशत पारिवारिक सदस्य मानते हैं कि डायबिटीज की वजह से लोग उन के अपनों से भेदभाव करते हैं. दरअसल, जिस समाज में वे रहते हैं उसे डायबिटीज पसंद नहीं है जबकि भारत में ऐसे 14-32 प्रतिशत परिवार ऐसा ही महसूस करते हैं.

वक्त पर इस का प्रबंधन करने के लिए डायबिटीज के रोगी के परिवार की भूमिका अहम होती है. यह साबित हो चुका है कि परिवार का सहयोग मिलने पर रोगी अकसर अपनी दवा का नियमित सेवन और ग्लूकोज पर नियंत्रण नहीं रख पाता. इसलिए जरूरी है कि परिवार का एक सदस्य शुरुआत से ही इन सब बातों का ध्यान रखने में जुट जाए. डाक्टर के पास जाते वक्त साथ जा कर पारिवारिक सदस्य सिर्फ काउंसलिंग सैशन का हिस्सा बन सकता है बल्कि यह भी समझ सकता है कि इस हालत को वे बेहतर तरीके से कैसे मैनेज कर सकते हैं.

कैसे करें शुगर प्रबंधन

डायबिटीज को मैनेज किया जा सकता है. अगर उचित कदम उठाए जाएं तो इस के रोगी लंबा सामान्य जीवन गुजार सकते हैं. प्रबंधन के लिए कुछ कदम इस प्रकार हैं :

पेट के मोटापे पर नियंत्रण रख के इस से बचा जा सकता है क्योंकि इस का सीधा संबंध टाइप 2 डायबिटीज से है. पुरुष अपनी कमर का घेरा 40 इंच और महिलाएं 35 इंज तक रखें. सेहतमंद और संतुलित खानपान, नियमित व्यायाम मोटापे पर काबू    पाने में मदद कर सकता है.

गुड कोलैस्ट्रौल एच जी एवं  को 50 एमजी रखने से दिल के रोग और डायबिटीज से बचा जा सकता है.

ट्राईग्लिसीराइड एक आहारीय फैट है जो मीट दुग्ध उत्पादों में होता है जिसे शरीर ऊर्जा के लिए प्रयोग करता है और अकसर शरीर में जमा कर लेता है. इस का स्तर 150 एमजी या इस से ज्यादा होने पर यह डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है.

आप का सिस्टौलिक ब्लडप्रैशर 130 से कम और डायस्टौलिक ब्लडप्रैशर 85 से कम होना चाहिए. तनावमुक्त रह कर ऐसा किया जा सकता है.

खाली पेट ग्लूकोज 100 एमजी या ज्यादा होने से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है.

दिन में 10,000 कदम चलने की सलाह दी जाती है.


परिवार मिल कर सप्ताह में 6 दिन सेहतमंद खानपान और रविवार को चीट डे के रूप में अपना सकते हैं ताकि नियमितरूप से हाई ट्रांस फैट और मीठा खाने से बचा जा सके. रविवार को बाहर जा कर शारीरिक व्यायाम करने के लिए भी रखा जा सकता है. परिवार में तनावमुक्त जीवन जीने की प्रभावशाली तकनीक बता कर सेहतमंद खुशहाल जीवन जीने के लिए उत्साहित कर के एकदूसरे की मदद की जा सकती है.                   

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