शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017

"अक्सर थाइरॉइड के लक्षणों को हम शुरुआती दौर में भांप ही नहीं पाते हैं"

थाइरॉइड हमारे शरीर में मौजूद ऐसी ग्रंथि है जो मेटाबॉलिज्म में मदद करती है। दुनिया की 9 प्रतिशत से अधिक जनता थाइरॉइड की समस्या से ग्रस्त है, जो आपके आन्तरिक सिस्टम को खराब कर हृदय और फेफड़े को काम करने से रोकता है।


ज्यादा काम भी नहीं किया और थकान महसूस हो रही हो या खान-पान पर ध्यान देते हैं फिर भी वजन तेजी से बढ़ता ही जा रहा हो। शरीर में ऐसे कई बदलाव होते हैं जिनको हम पहले तो हल्के में लेते हैं और बाद में यह हमारी लिए किसी गंभीर रोग का संकेत निकलते हैं, थाइरॉइड की समस्या भी कुछ ऐसी ही है। थाइरॉइड गले में स्थित तितली के आकार की ऐसी ग्रंथि है, जो मेटाबॉलिज्म में मदद करती है। इसका काम मेटॉबालिज्म को नियंत्रित करने वाले हार्मोन बनाना है। थाइरॉइड की समस्या होने पर ये हार्मोन  बहुत ज्यादा और तेज रफ्तार से बनते हैं। अक्सर थाइरॉइड के लक्षणों को हम शुरुआती दौर में भांप ही नहीं पाते हैं और बाद में इसके लक्षणों की अनदेखी हमें हाइपोथाइरॉइड या हाइपरथाइरॉइड की स्थिति तक पहुंचा देती है
बहुत आम है यह समस्या 
थाइरॉइड का पता रोजाना आपकी शारीरिक गतिविधियों में आए परिवर्तनों से बड़ी ही आसानी से लगाया जा सकता है। यहां तक कि 9 प्रतिशत से अधिक जनता थाइरॉइड की समस्या से ग्रस्त है, जो कि आपके आन्तरिक सिस्टम को खराब करता है, साथ ही हृदयसंबंधी और फेफड़े को काम करने से रोककर अपनी चपेट में ले सकता है।
बीमारी के लक्षण 
थाइरॉइड संबंधित अनेक लक्षणों को किसी अन्य परिणाम की स्थिति में या फिर लाइफस्टाइल बदलाने के कारण नकारा गया है। हाइपोथाइरॉइडिज्म का सामान्य लक्षण मोटापा भी होता है। जैसे अचानक ही शरीर का फैल जाना या फिर सिकुड़ जाना। ऐसी स्थिति में शारीरिक गतिविधियों में भी काफी कमी जाती है। ऐसे में बहुत से लोगों का मानना होता है कि वे थाइरॉइड के लक्षण से गुजर रहे हैं जबकि वजन का बढ़ना या घटना ही मात्र थाइरॉइड का कारण नहीं माना जा सकता। कई लोग इस सोच को नकारते हैं किसी अन्य लक्षण को जांचते हैं जैसे थकावट और डिप्रेशन से गुजरना। दुर्भाग्य से किसी को हाइपर या हाइपोथाइरॉइडिज्म के उत्कृष्ट लक्षण होते हुए भी वे इसकी चिकित्सक स्थिति के मामले में जागरूक नहीं होते हैं।
हाइपोथाइरॉइ में होने वाली परेशानी 

    .तेज धड़कन
  • फोकस करने में परेशानी
  • अचानक भूख बढ़ना
  • पसीना आना
  • व्यग्रता, डर का अहसास
  • वजन में तेज गिरावट
  • थकान का अहसास
  • ज्यादा ठंड लगना
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • नाखून खराब होना
  • आवाज कर्कश होना
  • बेवजह वजन में बढ़ोतरी
  • थाइरॉइड ग्रंथि का बढ़ना
  • गले की ग्रंथियों में जलन
यह भी जाने :
यदि आपको हाइपोथाइरॉइडिज्म के लक्षण हैं, विशेषकर यदि आपके परिवार में अगर किसी को हाइपोथाइरॉइडिज्म रह चुका हो तो अपने डॉक्टर को जरूर दिखाएं। इसका उपचार में पहले मेडिकेशन और आइयोडीन उपचार होता है। यदि उससे भी ठीक ना हो तो फिर सर्जरी की जाती है। थाइरॉइड के बारे में अनेक मिथक प्रचलित हैं, जो तथ्य से विपरीत हैं। आइये जानते हैं कुछ मिथक और तथ्य-
1:- 30 वर्ष के बाद सिर्फ औरतों में ही थाइरॉइड विकसित होता है।
यह जरूर है कि 60 से अधिक उम्र की 20 से 25 प्रतिशत महिलाओं को थाइरॉइड रोग विकसित होने का खतरा ज्यादा होता है। चूंकि उन्हें किसी भी उम्र में थाइरॉइड हो सकता है, और एक बार 30- 40 की उम्र में प्रसवोत्तर अवधि के दौरान हार्मोन्स बदलने शुरू हो जाते हैं। भारतीय पुरुषों में भी थाइरॉइड की स्थिति विकसित हो रही है और महिला पुरुष के थाइरॉइड के लक्षणों में ज्यादा अंतर भी नहीं होता है। वजन बदलना, थकावट, डिप्रेशन, बालों का झड़ना, यौन रूचि में कमी आदि सामान्य शिकायतें हैं जो कि थाइरॉइड की स्थिति में हर पुरूष को होती हैं। पुरूष और महिला जो सिगरेट का सेवन करते हैं, उन्हें इसका अधिक खतरा रहता है।
2:- पिण्ड या ग्रंथिका में थाइरॉइड होने का अर्थ थाइरॉइड कैंसर
दरअसल, केवल 5 से 10 प्रतिशत थाइरॉइड ग्रंथि ही कैंसरयुक्त होती हैं। इसके लिए कई प्रकार की चिकित्सकीय  प्रक्रिया जैसे एफएनएसी या बायोप्सी करने की जरूरत होती है। इससे पता लगता है कि दोनों में से कौन सा पिण्ड असामान्य और कैंसरयुक्त है।
3:- सभी प्रकार के थाइरॉइड में रेडियोएक्टिव आयोडीन की जरूरत है 
केवल हाइपर थाइरॉइड रोग के लिए रेडियोएक्टिव आयोडीन की जरूरत पड़ती है। अधिकांश लोगों का उपचार सालों तक मेडिसिन से किया जाता है। कुछ केसों में सर्जरी से भी उपचार किया जाता है।
4.:- सभी प्रकार के थाइरॉइड में गलगण्ड विकसित होता है।
यह सही नहीं है। अधिकतर थाइरॉइड रोगियों में गलगण्ड विकसित नहीं होता है या थाइरॉइड में अतिवृद्धि नहीं होती है।
थाइरॉइड की रोकथाम
हाइपोथाइरॉइड में हार्मोंस का जरूरत से कम स्राव होता है जबकि हाइपरथाइरॉइड में थाइरॉइड हार्मोन्स का जरूरत से ज्यादा स्राव होता है जिसकी वजह से रोगी को कमजोरी, सुस्ती, मोटापा, कब्ज, थकावट, भूख लगना आदि की शिकायत शुरू हो जाती है। कुछ बातों का ध्यान रखकर आप इस बीमारी से निजात पा सकती हैं-
धूम्रपान, गुटका, तंबाकू, चाय, काफी, चॉकलेट आदि चीजों को छोड़कर ही इस रोग से स्थाई छुटकारा मिल सकता है। चूंकि धूम्रपान इस रोग में हानि पहुंचा सकता है। यह भी हो सकता है कि इससे थायरॉइड की स्थिति और भी बिगड़ जाए।
तनाव कम करें। इस रोग में तनाव, कुंठा, क्रोध को अपने सिर पर लादें नहीं, बल्कि इनका सूझबूझ से हल निकालें। अपनी जीवन शैली को बदलने का प्रयास करें। इससे थाइरॉइड को रोका जा सकता है।
जब यह आयोडीन से है तो संयम से सोचें। बहुत कम या बहुत ज्यादा आयोडीन होना भी हाइपोथाइरॉइडिज्म या गलगण्ड के खतरें को बढ़ा सकता है।
बोतल का पानी पीएं। स्वच्छ पानी का सेवन करना चाहिए वरना थायरॉइड की समस्या बढ़ जाती है। चूंकि पानी में फ्लोराइड और परक्लोरेट की मात्रा होती है इसलिए पानी का सेवन भी सावधानी से करना चाहिए।
कुछ लोग क्रेश डाइट और आसान कम समय वाले एक्सरसाइज प्रोग्राम अपना सकते हैं। शुरुआत में छोटे कदम उठाए जा सकते हैं। अगर आप इस प्रोग्राम को आजमाना चाहते हैं तो 15 मिनट की वॉक से शुरुआत कीजिए।
अपनी दिनचर्या में योग को शामिल करें। इस रोग में भस्त्रिका, कपालभाती एवं अग्निसार प्राणायाम काफी कारगर हैं। इनसे चयापचय गति बढ़ती है तथा यह सुस्ती, आलस्य तथा थकावट को दूर करने में उपयोगी सिद्ध होता है।
ऐसे खाने से बचिए, जिनके बिना आपका काम चल सकता है। इन बदलावों को आसानी से अंजाम देने के लिए आप ऐसा दोस्त चुन सकते हैं, जो ये सब करने में आपकी मदद करे। 
ज्यादा सोया का सेवन नहीं करना चाहिए.
उपाचार  
थाइरॉइड बढ़ने या घटने से होने वाली समस्या हाइपोथाइरॉइड या हाइपरथाइरॉइड के सामान्य तौर पर दो उपचार होते हैः-

रेडियोएक्टिव आयोडीन उपचार और अगर समस्या अधिक गंभीर रूप ले ले तो सर्जरी करवाना ही एकमात्र उपाय होता है।

1 टिप्पणी: