सोमवार, 1 मई 2017

गर्भवती स्त्री का डायबिटिक होना मां और शिशु दोनों की सेहत के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है

 कांकेर से आई हुई एक डायबिटिक महिला को तीन बार से गर्भपात हो रहा है। उसकी बहुत सारी उलझने थी। डॉ सत्यजीत  साहू ने उनको गर्भ में होने वाली डायबिटीज से बारे में जानकारी दी। 


बढ़ी  हुई शुगर  की मात्रा के पीछे जेनेटिक्स भी एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। इस संदर्भ में गर्भवती स्त्री का डायबिटिक होना मां और शिशु दोनों की सेहत के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। यदि ठीक तरह से देखभाल हो और सतर्कता रखी जाए तो इस मुश्किल को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 


दो प्रकार से हो सकता है :

गर्भावस्था के समय किसी स्त्री का पूर्व से ही डायबिटिक होना जहां एक प्रकार है वहीं दूसरे प्रकार में वह डायबिटीज पीड़ित आती हैं जो गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोन्स में असंतुलन से डायबिटीज की शिकार हो जाती हैं। इसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है और आमतौर पर यह 24 वें हफ्ते के दौरान सामने आती है। इस दूसरे प्रकार का अच्छा पहलू यह है कि यह अस्थाई भी हो सकता है। यानी सावधानी रखने पर डिलिवरी के बाद शुगर का स्तर सामान्य हो सकता है।

उन महिलाओं के लिए रास्ता थोड़ा कठिन हो सकता है जो पहले से ही डायबिटीज की समस्या से जूझ रही हैं। ऐसे में जरूरत होती है सही मार्गदर्शन और सटीक मैनेजमेंट की जिससे पूरी गर्भावस्था में शुगर के लेवल को सामान्य बनाए रखा जा सके। इसके लिए इन सुझावों पर गौर किया जा सकता है- 

काउंसलिंग: 

जब भी आप परिवार का विस्तार करने का निर्णय लें, डॉक्टर को अपनी डायबिटीज की स्थिति से अवगत कराते हुए जानें कि आपको किन-किन चीजों के लिए सतर्क रहना होगा, जो दवाएं आप ले रही हैं उनके अलावा क्या और दवाओं की जरूरत होगी और आपको खान-पान तथा रूटीन में क्या बदलाव करने होंगे? इन प्रश्नों के अलावा आपके मन में और जो भी सवाल हों उन्हें बेझिझक पूछें। यदि आपके पति भी डायबिटिक हैं या परिवार में डायबिटीज की हिस्ट्री है तो भी पर्याप्त सलाह लें।

 पहले से जाने :

गर्भावस्था के पहले और दौरान बच्चे का पूरा ध्यान रखने के हिसाब से सही सलाह लें। एक ऑब्सटीट्रिशियन जो हाई रिस्क प्रेग्नेंसी और डायबिटिक गर्भवती के उपचार का अनुभव रखता हो, उसकी मदद लें। याद रखें कि ब्लड शुगर लेवल के असामान्य रहने से बच्चे में बर्थ डिफेक्ट पनपने की आशंका हो सकती है। 


विशेष सावधानियां :


सबसे पहली और खास जरूरत है अपने खान-पान को दुरुस्त रखने की। यहां एक सबसे बड़ी उलझन यह है कि प्रेगनेंसी के समय भरपूर पोषक खुराक की आवश्यकता होती है और डायबिटिक महिलाओं को परहेज भी रखना होता है। इसलिए अपनी डाइट के विकल्प चुनें जिनसे आपको पोषण और स्वाद दोनों मिल सके। साथ ही किसी विशेषज्ञ से भी परामर्श लें। भोजन में साबुत अनाज, सेब जैसे फल, फलीदार और हरी सब्जियों, कम फैट वाले दूध आदि को शामिल करें। सलाह लेकर आप थोड़ा-बहुत मनपसंद जंकफूड भी खा सकती हैं लेकिन इसे किसी साफ-सुथरी जगह से ही खाएं।
  • फिजिकल एक्टिविटी इस समय भी जरूरी है। विशेष व्यायामों पर ध्यान दें। कोशिश करें कि पोर्शन मील खाएं और हर आधे घंटे में थोड़ा टहलें।
  • इन्फेक्शंस से बचें। खासकर जब घर से बाहर किसी शौचालय का इस्तेमाल करें। अपने प्राइवेट पार्ट्स और अंडरगार्मेंट्स को साफ रखें। हाथों को अच्छे से धोने की आदत बनाएं।
  • डायबिटीज को कंट्रोल में रखें, समय-समय पर ब्लड शुगर लेवल चैक करवाएं। जरूरी सभी जांचें समय पर करवाएं।
  • मन को पॉजिटिव बनाए रखें। बच्चे को अपनी बातों से गर्भ में भी यह अहसास दिलाएं कि वह एक अच्छी और स्वस्थ जिंदगी में कदम रखेगा।

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