यदि आपसे पूछा जाये कि दुनिया में कितने ऊँट हैं तो यह एक बेवकूफी से भारा सवाल लग सकता है । मगर जानकार लोगों की दृष्टि में यह एक महत्वपूर्ण सवाल है । जान लिजिए कि इस धरती पर दो करोड़ ऊँट हैं और सन 2016 तक दस बिलियन यू.एस. डॉलर (प्रतिवर्ष) का बिजनेस ऊँटनी के दूध से शुरू होने का आकलन है । आस्ट्रिया में ऊँटनी के दूध से बना चाकलेट, बटर, और दही का बिजनेस तेजी से बढ़ता जा रहा है ।
राजस्थान का है यह परिक्षण
राजस्थान के दो जिले -जैसलमेर और जोधपुर के रियाका समुदाय में हुए एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण ने मेडीकल जगत को चौका दिया । रियाका रेगिस्तानी इलाके में रहने वाले जुझारू लोग है और बियाबान बालू के रेतीले समुद्र के सिंग इज किंग हैं । ज्यादातर ये लोग ऊँटनी के दूध पर ही निर्भर रहते हैं । जम के ऊँटनी का दूध पीते हैं और बिन्दास होकर जीते हैं । वैज्ञानिको की टीम ने पाया कि इस कम्युनिटी में डायबिटीज होने की दर शून्य पायी गयी अभी तक दुनिया में ऐसा कोई समुदाय चिन्हित नहीं हुआ था जिनमें डायबिटीज न होता हो । सर्वेक्षण करने वाली टीम ने तब उसी समुदाय के उन लोगों का अध्ययन किया जो शहरी इलाके में रहते थे एवं उँटनी का दूध पीना पिछड़ेपन की निशानी मानते थे । पाया गया कि ऐसे लोगों में डायबिटीज होने की दर 6% थी । उसी समय यह परिकल्पना की गयी कि ऊँटनी के दूध में शायद कोई ऐसा तत्व है जिसके पीने से डायबिटीज नहीं होता है ।
यह शोध का विषय है
धीरे-धीरे ऊँटनी के दूध में भारतीय शोधकर्ताओं की रूचि बढ़ी । अल्बोनों चुहों पर हुए उपयोग ने बताया की ऊँटनी का दूध खून में शुगर की मात्रा को तेजी से कम कर देता है । वैसे तो हजारों साल से रेगिस्तानी इलाकों के लोग ऊँटनी का दूध पीते आयें हैं मगर जहाँगीर (1579-1627 ई.सी.) ने अपने संस्मरण में इसकी महत्ता का अच्छा वर्णन किया है । आधुनिक काल में 1986 के बाद 2004 से 2007 में पूरी दुनिया में पहली बार तब सनसनी फैल गयी जब यह समाचार आया कि ऊँटनी के दूध में इन्सुलीन या इन्सुलीन जैसा कोई प्रोटीन होता है । ऊँटनी के दूध का रेडियोइम्युनोंऐसे ने अब दिखाया है कि इसके एक लीटर में 52 यूनिट इन्सुलीन स्रावित होता है। यह मात्रा गाय के दूध में स्रावित होने वाले इन्सुलीन 16 यूनिट प्रति लीटर से बुहत ज्यादा है । ह्यूमन मिल्क में 62 यूनिट प्रति लीटर इन्सुलीन स्रावित होता है ।मुख्य बात यह है कि कोई भी इन्सुलीन जब पेट के ऐसिडिक मिडियम में पहुँचता है तो वहीं नष्ट होकर नाकाम हो जाता है । केवल ऊँटनी के दूध को पीने के बाद उसका इन्सुलीन पेट में नष्ट नहीं होता और आँतो में जाकर अवशोषित होकर रक्त में जा पहुंचता है और ब्लड शुगर को कम कर देता है । ऊँटनी के दूध में रहने वाला इन्सुलीन पेट में क्यों नहीं नष्ट होता यह अभी तक एक तिलिस्म है । जिस दिन यह तिलिस्म विज्ञान खोज लेगा उसी दिन इन्सुलीन का टेबलेट बनाना मुमकिन हो जाएगा । अभी जो रिसर्च की दिशा है उसके अनुसार इन्सुलीन का टेबलेट बनाना एक टेढ़ी खीर लग रही है ।
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